चन्द्रमा पर धब्बे क्यों दिखाई होते है?

आपने कभी देखा होगा की  चंद्रमा को नंगी आखों से देखने पर उसकी सतह पर कुछ काले धब्बे दिखाई देते है | क्या आप जानते है कि ये धब्बे क्या है? हमे चन्द्रमा पर वो क्यों दिखाई देते है ?
आईये जानते है :–
गेलिलियो गेलिली एक महान वैज्ञानिक थे | उन्होंने अपने बनाये दूरदर्शी से १६०९ चाँद के इन काले धब्बो को सपाट सागरों के रूप में देखा था और तब से इनका नाम ‘चंद्रमा के सागर’ पड़ गया था | चन्द्रमा के इन सपाट मैदानों या काले धब्बो को दो भागों में बांटा जा सकता है:-

पहले भाग में वे सागर आते है, जो लगभग गोलाकार है, और दुसरे भाग में वे धब्बे आते है जिनका कोई आकार नहीं है | ऐसे धब्बो में प्रमुख है ‘सी ऑफ़ शावर्स’ और ‘सी ऑफ़ क्राइसिस’ | चंद्रमा की दूसरी तरफ की सतह पर भी इस तरह के धब्बे है ओर इनमे प्रमुख है ‘सी ऑफ़ मास्को’ अनियमित धब्बो में सी ऑफ़ स्टोर्मस आते है और इनके किनारों पर पर्वत श्रृंखलाए नहीं होती है | ये धब्बे ताम्बे की परतो से ढके हुए है |

ऐसा माना जाता है कि इनका निर्माण तीव्र वेग से गिरते हुए क्षुद्रो या उल्का पिंडो के चंद्रमा की सतह से टकराने के कारन हुआ होगा | इस टक्कर से चंद्रमा की सतह फट गयी होगी या फिर ज्वालामुखी फट गए होंगे, जिसके कारण अंदरूनी भाग से विशाल लावा बहकर सतह पर जम गया होगा, जो धब्बो की तरह दिखाई देता है |

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